जो किसी भी लफ़्ज़ पर न लगाया जा सके और वो नुक़्ता अलाहिदा अलग-थलग खड़ा रहे किसी भी गुमान के सहारे इस इंतिज़ार में कि कोई ऐसा लफ़्ज़ आ जाए जिस पर उसे लगाया जा सके ये भी हो सकता है वो नुक़्ता सदियों उस लफ़्ज़ का इंतिज़ार करता रहे ये भी हो सकता है सदहा साल गुज़र जाने के ब'अद ये सारे लफ़्ज़ बोसीदा हो जाएँ और गल-सड़ कर तहलील हो जाएँ और कुछ बाक़ी न रहे सिर्फ़ वो नुक़्ता रह जाए