मैं तो हूँ शाएर की रूह शाएर की खासिय्यत एक ख़ुशबू इक तिलिस्म और मिरा बेटा कि है शाएर का जिस्म शाइरों की ख़सलतों का आइना कज-रवी का इश्तिहार है समेटे अपने अंदर ऐब की हर एक क़िस्म ना-समझ आवारा-ओ-बेकार शैदा-ए-क़िमार आश्नाओं का मुसाहिब कम-अयार हर्ज़ा-गो बादा-गुसार काश मैं होता शराबी और कबाबी और वो नेको-शिआर बा-सफ़ा बे-ऐब सा मेरी तरह लोग फिर मुझ को समझते शाएर-ए-रंगीं-ख़याल-ओ-बा-कमाल और मिरा बेटा भी होता ख़ुश-ख़िसाल दिल न होता पुर-मलाल