हर क़दम याद तुझे मेरी बहुत आएगी तू जहाँ जाएगी हमराह मुझे पाएगी तेरे रुख़्सार की रंगत तिरे माथे की चमक मुझ से क़ाएम है तिरे हाथ के कंगन की खनक तेरी हर साँस से वाबस्ता हैं साँसें मेरी ख़्वाब तेरे हैं सभी और हैं आँखें मेरी फिर बता कैसे जुदा मुझ से तू हो जाएगी तू जहाँ जाएगी हमराह मुझे पाएगी दिल में रौशन है तिरी याद चराग़ों की तरह मुझ पे तारी है तिरा प्यार अयाग़ों की तरह तू ही कह दे कि तुझे दिल से भुला दूँ कैसे मैं तिरे नाम को हाथों से मिटा दूँ कैसे आ भी जा और मुझे कितना तू तड़पाएगी तू जहाँ जाएगी हमराह मुझे पाएगी छोड़ देने का किया कैसे इरादा तू ने जिस को चाहा था कभी जान से ज़ियादा तू ने क्या हुईं क़स्में तिरी और वो वा'दे तेरे साथ चलने के हमेशा के इरादे तेरे मुझ को मालूम न था उतना बदल जाएगी तू जहाँ जाएगी हमराह मुझे पाएगी अपने वा'दे को वफ़ा कर के मैं दिखलाऊँगा मैं अगर मर भी गया फिर भी तुझे चाहूँगा तू जहाँ के किसी गोशे में रहेगी हमदम हो के बेचैन सदा दूँगा तुझे मैं जिस दम मेरी आवाज़ तेरे कान से टकराएगी तू जहाँ जाएगी हमराह मुझे पाएगी जब भी देखा तिरी सूरत को ही देखा मैं ने सिर्फ़ और सिर्फ़ तिरी की है तमन्ना मैं ने मैं सिवा तेरे किसे देखूँ निगाहें भर के जो कभी देखूँ मिरा रब मुझे अंधा कर दे देख अब मान भी जा वर्ना तू पछताएगी तू जहाँ जाएगी हमराह मुझे पाएगी