मैं हूँ वीराने में एक शजर तन्हा मुझ पे छाया रहता है एक मुहीब सन्नाटा जाने कब तक इन सन्नाटों का साथ रहेगा दिल में जागे है बस यही अरमाँ काश चिड़िया कोई आए मुझ पे बैठे फुदके गाए ख़ूब चहचहाए जोड़ के तिनके बाहोँ पर मिरी ख़ूब मनाए रैन बसेरा जन्म दे भोले-भाले बच्चों को शाख़ों से फल तोड़े खाए खिलाए बच्चों को बैठे फुदके गाए ख़ूब चहचहाए काश चिड़िया कोई आए