भूतों की इक हवेली में काशिफ़ मियाँ गए ऐसा लड़े कि भूतों के छक्के छुड़ा दिए इक भूत कूद फाँद के चिमनी पे चढ़ गया और दूसरा दहाड़ के छत फाड़ने लगा सब से बड़ा जो था वहीं धम से लुढ़क रहा काशिफ़ के एक घूँसे में चीं बोलना पड़ा और छोटे-मोटे भूतों का क्या हाल पूछना छुपने की कोने कोने में वो ढूँडते थे जा कोई छुपा था टूटे हुए तख़्त के तले कोई पुकारता था बचाओ कि हम मरे सब मोटी छोटी भूतनियाँ चीख़ने लगीं बाल अपने नोच नोच के मुँह पीटने लगीं छोटे-बड़े बहुत थे वहाँ भूत भूतनी काशिफ़ मियाँ के आगे किसी की नहीं चली सब हाथ बाँध बाँध के रोते पुकारते काशिफ़ मियाँ से कहने लगे कीजिए मुआ'फ़ हम भूल के भी अब न हवेली में आएँगे आ भी गए तो आप से कब बचने पाएँगे लेकिन बड़े ग़ज़ब की तभी बात ये हुई इस शोर और शराबे से आँख उन की खुल गई तब ये पता चला उन्हें ये सब तो ख़्वाब था जो भी हो ख़्वाब उन का बड़ा ला-जवाब था