कमाल करते हैं इश्क़ वाले ये दास्ताँ है क़ुरून-ए-ऊला से पेशतर की जब एक लड़की से देवता ने बिरोग पाया तो आँसूओं का महल बनाया ये इश्क़ था सो ज़मीं की बुनियाद हिल गई थी सड़क के तारों से मिल गई थी ये इश्क़ था सो न उस ने लम्हों से मात खाई न उस को सदियाँ बिगाड़ पाईं कटास अब भी वहीं खड़ा है हर एक पत्थर गवाह बन कर वहीं पड़ा है ये ख़ाक पहले ही मुज़्तरिब थी अब और हैरान हो गई है पुजारियों के नफ़स की उतरन हवा मुसलमान हो गई है मोहब्बतों से भरे सहीफ़े तो ताक़चों में सजा दिए हैं अक़ीदतों ने शिवा के आँसू वुज़ू के क़ाबिल बना दिए हैं नसीब वाले ही आँसूओं से वुज़ू करेंगे क़बा-ए-गिर्या रफ़ू करेंगे कटास अपने ही आप में गुम अदम से इल्हाक़ कर रहा है कई मज़ाहिब की लौ जलाए सदा-ए-इल्हाद कर रहा है और इस झमेले के पास बैठा कोई तुम्हें याद कर रहा है अजब मसाफ़त से चूर है ये अजीब फ़रियाद कर रहा है इसे निकालो ये इस जगह का सुकून बर्बाद कर रहा है कमाल करते हैं इश्क़ वाले ये दास्ताँ है क़ुरून-ए-ऊला से पेशतर की जब एक लड़की से देवता ने बिरोग पाया तो आँसूओं का महल बनाया