मेरे हमदम मैं कि तुझ को चाहता था भूलना मैं कि तेरी राह से कतरा रहा था मैं कि तेरी याद सीने में दबाए जा रहा था मैं कि तेरा प्यार दुनिया से छुपाए जा रहा था हादिसा फिर हो गया मेरा दिल तन्हाइयों में खो गया तेरे घर के सामने मैं गुज़रता जा रहा था तेज़ तेज़ कि अचानक कार पंक्चर हो गई तेरे घर के सामने न ठहर सकता था मैं न ही जा सकता था मैं मैं बहुत हैरान था मैं बहुत आज़ुर्दा था वो कि मुझ से प्यार करते थे कभी वो कि मेरा नाम जपते थे कभी सामने बैठे रहे पर न मेरी जानिब उठ कर आ सके जैसे मैं उन का न था जैसे मैं तेरा न था जैसे मैं बेगाना था अपनी इस तौहीन पर मैं बहुत शर्मिंदा था मैं बहुत पज़मुर्दा था तुझ से लेकिन क्या गिला न तिरे सीने में दिल न तिरी कोई उमंग तू तो कठ-पुतली है एक मुझ को तुझ से क्या गिला