हमें कौन बचाएगा अगर कभी हमारी जेबें ख़ाली कराने की कोशिश की गई अगर कभी हमारी उँगलियों के दरमियान पेंसिल रख कर और उन्हें दबा दबा कर कुछ पूछने की ज़रूरत महसूस होती तो हम क्या बताएँगे यही कि हम ने कभी चंद खोटे सिक्कों चमड़े में छुपे ता'वीज़ और खजूर की गुठलियों के सिवा ज़मीन में कुछ नहीं दबाया या ये कि हमारी अलमारी के ख़ानों में मंसूख़-शुदा पासपोर्ट चंद ख़ानदानी एलबमों और अक़ीक़ की अंगूठियों के सिवा कुछ मौजूद नहीं मगर ये हमारा ख़याल है सिर्फ़ ख़याल हमें कुछ नहीं होगा और अगर कुछ हुआ तो हमारे दोस्त दरख़्त हमें अपने साए में ले लेंगे जिन बादलों की तश्कील में हमारे आँसू शामिल हैं हमें साथ ले जाएँगे और नीचे नहीं गिरने दें अगर कभी बे-ध्यानी के आलम में हम नीचे शहर में गिरे भी तो हमारी जेबों से छोटे छोटे सितारों बेर बहूटियों और बारिश के क़तरों के सिवा कुछ बरामद न होगा