कवी से By Nazm << चलो फिर वापस मुड़ जाएँ मिरे पर न बाँधो >> दर्द तुम्हारा था शब्द भी तुम्हारे थे और गान भी तुम्हारे थे लेकिन प्रतिध्वनियों से गूँजता आकाश भी क्या तुम्हारा था कवी Share on: