एक वक़्त ऐसा आएगा कि मैं ये सब भूल जाऊँगी उस वक़्त की संगीनी भी जिस में मेरा दिल एक गाढ़े दुख से भर गया था और मैं उस सफ़ेद बेंच की तरह रह जाऊँगी जो ख़ाली पड़ी है इस इरादे से कि मैं उस पर बैठूँ और आगे देखूँ आगे जहाँ पानी के क़तरे ख़ाम मॉल की तरह पड़े हैं हवा का लिबास बनने के लिए