ख़ुदा से By Nazm << किस से मोहब्बत है नींद की माती >> मैं मुँह भर क़हक़हे पे क़हक़हे जो यूँ लगाने की मशक़्क़त अज़-सहर ता-शाम करता हूँ दयानत से तो मज़दूरी भी वाजिब सी मिले कोई बहुत दिन से मिरी आँखें कभी भर भर नहीं रोईं Share on: