एक दहाई का अर्सा भी कोई अर्सा होता है दोस्त लेकिन ये भी सच है दोस्त मेरे बालों में तू उतरी और फैली है चाँदी लाख छुपाना चाहूँ लेकिन चुग़ली खा ही जाती है लाल हो या काली मेहंदी उम्र की मकड़ी झुर्रियों के जाले बुनती जाती है यूँ लगता है जैसे एक दहाई भी कोई एक सदी होती है लेकिन ये भी सच है दोस्त लम्स की ख़ुशबू क़ुर्ब की हिद्दत याद की शम्अ सब कुछ ताज़ा ताज़ा है या'नी रूह में बसने वालों को तो हिज्र का ग़म ही ज़िंदा रखता है एक दहाई चाहे गुज़रे चाहे गुज़रे एक सदी सच तो ये है अब तक तुम मेरे अंदर ज़िंदा हो लेकिन बोलो क्या मैं भी ज़िंदा हूँ