वो मेरी आँखों में भारी जूतों समेत आ कर ये पूछते हैं ये अक्स क्या है कहाँ से आया है कैसे मंज़र से किन दरीचों से किन अनासिर की रौशनी से वजूद पा कर तुम्हारी आँखों में आ बसा है ये कैसे आँसू हैं उन के होने का राज़ दुख या ख़ुशी है कोई ख़ुशी का आख़िर को नाम क्या है दुखों की नस्ली शनाख़्त क्या है ये ख़्वाब क्यों हैं कहाँ है इन का जवाज़-नामा ये किन दुआओं का कैसे इस्मों का कैसे होंटों के नर्म बोसों का हौसला हैं महीन पर्दों में किन के चेहरे हैं नक़्श कैसे हैं और जिस्मों के नज़रियाती ख़ुतूत क्या हैं सभी बताओ वो मेरी आँखों में भारी जूतों समेत आ कर ये पूछते हैं कि कौन हूँ मैं