अरे आओ बे-फ़िक्र हो के आओ मेरी ज़िंदगी में घबराओ नहीं कोई टूट-फूट नहीं होगी तुम से आओ तो दर-अस्ल यहाँ कुछ बाक़ी ही नहीं टूटने को हाँ कुछ पुराने ख़्वाबों की किर्चें हैं तुम्हारे आने तक साफ़ हो जाएँगी उस के बा'द जो होगा सब तुम्हारा ही होगा जाते वक़्त जो कुछ सलामत बचे ले जाना ख़्वाबों की किर्चें गर रह गईं तुम्हारे बा'द तो समेट के रख देना मेरे होंठों पे मुस्कुराहटों में बाँध के