देखो, हम सब एक सफ़ेद कँवल पर टेक लगाए तैर रहे हैं और महसूस ये करते हैं कि हम ने ख़ुद को नाफ़-ए-ज़मीं से मज़बूती से बाँध रखा है अपनी हर ख़्वाहिश को हम ने क़त्ल किया है ताकि दिल में कोई तमन्ना सर न उठाने पाए ज़ेहन में कोई नया ख़याल अगर दर आता है तो हम इस पर ख़ुद अपने हाथों चूना कर देते हैं कोई रौज़न ताज़ा हवा के फांकने को गर खुलता है तो कीचड़ से भर देते हैं