किसी शहर में एक रहता था राजा वो राजा था बजता हुआ एक बाजा यूँ ही आते जातों से तकरार करता हवा पर भी तलवार से वार करता सुनाऊँ तुम्हें एक दिन की कहानी मसहरी पे बैठी थी राजा की रानी कि इतने में इक नन्ही मुन्नी सी चिड़िया लिए चोंच में एक छोटा सा तिनका चली आई रानी के कमरे के अंदर और आ बैठी रानी के बिल्कुल बराबर ये देखा तो राजा ने तेवरी चढ़ाई उठा और ग़ुस्से से ताली बजाई दिया हुक्म फ़ौजों का सालार आए कि फ़ौज आ के चिड़िया पे गोली चलिए मिला हुक्म फ़ौजों का सालार आया परा आ के फ़ौजों का उस ने जमाया मगर नन्ही चिड़िया थी हिम्मत की आली किया उस ने दुश्मन का हर वार ख़ाली वो उड़ती फिरी सारे कमरे के अंदर और आ बैठी रानी के कंधे के ऊपर तो रानी को उस पर बहुत प्यार आया उसे अपने आँचल में झट-पट छुपाया ये देखा तो राजा बहुत सटपटाया मगर अपनी रानी से कुछ कह न पाया तो रानी उसे देख कर मुस्कुरा दी उठी और खिड़की से चिड़िया उड़ा दी