क़िस्मत By Nazm << जंगल जफ़ा-ए-दिल-शिकन >> इक पेड़ घना है मेरे घर के आँगन में जिस की छाँव में सुस्ताने की ख़्वाहिश है लेकिन ये मेरी क़िस्मत पेड़ की सारी शाख़ें तो मेरे घर की दीवारों से बाहर हैं और आँगन में धूप बरसती रहती है Share on: