कोई बात करो By Nazm << नाम का पत्थर एक कुत्ता नज़्म >> मुँह बसोरे ये शाम खिड़की पर आन बैठी है दोपहर ही से दिल कि जैसे ख़िज़ाँ-ज़दा पत्ता टूटने को है कोई बात करो Share on: