कोई तो बात ऐसी थी By Nazm << ऐ हम-सफ़रो क्यूँ न यहीं श... खोखले बर्तन के होंट >> कोई तो बात ऐसी थी जुदाई का सबब ठहरी जो सदियों के सफ़र से थी मगर पलकों पे पुल बन कर खटकती है नफ़स में आ के चुभती है जो दिल में छेद करती है ज़माने पर अयाँ सब भेद करती है करूँ जब याद तो ये साँस रुकता है ये दिल थम थम के चलता है कोई तो बात ऐसी थी Share on: