कोशिश By Nazm << मुहाफ़िज़ मगर-मछ के आँसू >> कई दिनों से मेरे सर में सुब्ह शाम और रात रात भर ना-उम्मीद परिंदे उड़ते रहते हैं उन्हें रोकना मुश्किल है लेकिन अपनी काली काली ज़ुल्फ़ों में घोंसला करने से मैं रोक तो नहीं सकता हूँ उन को Share on: