राह तय होने को है मुल्तवी रक्खा हुआ पै-ब-पै होने को है जो कभी था भी न था अब वो है होने को है ख़ू बदल दी जाएगी बाँस नय होने को है इक तग़य्युर है कहीं ज़हर मय होने को है हर तरफ़ है गूँज सी किस की जय होने को है एक शय अब कुछ नहीं एक शय होने को है क्या पुकारा जाएगा कौन ऐ होने को है