खड़े खड़े इस दोराहे पर देखें एक तमाशा कैसी है अभीलाशा लफ़्ज़ों के अंकुर से खेलें रंग रंग की भाषा तरह तरह के रूप अनोखे लफ़्ज़ों के आकार शब्दों की झंकार फटी हुई पुस्तक के पन्ने इधर उधर बे-कार शब्दों के आकार से कितने धरती के दुख काँपें सब के दुख को नापें गुड्डू साहब बैठे बैठे कितने राग अलापें दादी अम्माँ दादी अम्माँ क़िस्से रोज़ सुनाएँ परियों की सैर कराएँ गुड़िया रानी सखियों के संग शादी रोज़ रचाएँ