हाथों में जाम और होश की बात करें अरे कुछ तो होश की बात कर साक़ी पैमाना भी न छलके और सुरूर चढ़े अपनी आँखों से कुछ तो काम ले साक़ी पहरा नक़ाब का और ये तेरी बेबाकी दोनों में कोई तो इत्तिफ़ाक़ रख साक़ी कब से बैठे हैं लुटाने ये दिल-ओ-जाँ अपनी अदाओं को अब तो अंजाम दे साक़ी सुब्ह कर लेना पिछली रात का हिसाब उँगलियों पे तो न गिन ये हसीं लम्हे साक़ी