लीडर By Nazm << ख़्वाब-तमाशा(1) जान बेटा ख़िलाफ़त पे दे द... >> हज़ारों हाथों को अपनी जानिब बुलंद पा कर वो समझा सब उसे सलाम कर रहे हैं और ख़िराज-अक़ीदत पेश कर रहे हैं वो ख़ुश हुआ ओर आगे बढ़ गया उन बे-शुमार आँखों में झाँके बग़ैर जिन में घोर तिरस्कार भरा था Share on: