वक़्त क्या है किसी शय के होने से ले कर न होने तलक का वो दौरानिया है जिस में वो अपने होने न होने का एहसास भी गो किसी शक्ल में हो कराती रहे उम्र क्या है फ़क़त चंद ज़र्रात का एक मुद्दत तलक एक ही शक्ल में एक दूजे से लिपटे हुए वक़्त को काटना उम्र इंसान की सौ बरस कुछ ज़ियादा हुई उम्र सत्तर अरब साल भी इक सितारे का कुछ भी नहीं जिस्म क्या है वही चंद ज़र्रात की एक शक्ल जैसे मैं जैसे तू वक़्त इक लूप है जिस में ज़र्रात गर्दिश में हैं जैसे मैं और तू एक इंसानी शक्ल ऐन मुमकिन है कुछ सौ अरब साल बाद कुछ मिरे जिस्म के कुछ तिरे जिस्म के चंद ज़र्रात मिल कर कोई शक्ल लें अब मैं ख़ुश हूँ कि कुछ सौ अरब साल बाद अपने मिलने का कोई तो इम्कान है