मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा ख़ुदा-वंद! मेरी सज़ा तू किसी और को दे कि मैं ने यहाँ इस ज़मीं पर सज़ाएँ क़ुबूलीं हैं उन की कि जिन से मुझे सिर्फ़ इतना तअल्लुक़ रहा है कि मैं और वो दोनों तुझ को ख़ुदा मानते थे! ये सच है तिरा अक्स देखा था हम ने अलग आईनों में मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा ख़ुदा-वंद! ये दिन क़यामत का दिन है ये वो दिन है जब तू ने हम सब पे अपने को ज़ाहिर किया है तो इस वक़्त मेरे गुनाहों से पर्दा उठा कर ख़ुदावंद! तू अपनी नूरानियों अपनी ताबानियों को मुलव्विस न कर मुझे मुआफ़ कर दे उसे मुआफ़ कर दे कि मैं और वो दोनों तुझ को ख़ुदा मानते थे ये सच है तिरा अक्स देखा था हम ने अलग आईनों में हमें मुआफ़ कर दे कि हम ने सज़ाएँ क़ुबूल की हैं इक दूसरे की! हमें मुआफ़ कर दे कि सारे गुनाह सारी तक़्सीरें सच सच बताऊँ इसी दिन की ख़ातिर हुई थीं