और माओं की छातियों से छीनी हुई जवान ज़िंदगी किसी सफ़ेद परचम पर गिरते हैं और एक बड़ा धब्बा बन जाता है लॉन्ड्रियों में धुले अय्याम हमारे सीने में गाढ़ी गई कीलों पर सुखाए जाते हैं किसी मुल्क का नक़्शा धब्बे से बड़ा नहीं होता कि उसे धोने के लिए ऐसा हैज़ का ख़ून सर्फ़ कर दिया जाए जो इस लिए जारी हो गया कि हमल ठहरने के ऐवानों में कोई सरकारी हरकारा नहीं था इंसानी हुक़ूक़ की प्लेट में रखा काँटा और बेड़ियों को काटने वाली रंग आलूद छुरी मल कर भी ख़ुदा के होंटों को ज़ख़्मी नहीं कर सकते ज़मीन को उँगलियों पे घुमाने वाला मसख़रा एक दिन ज़मीन में ऐसा स्वराज करेगा कि ज़मीन के सीने में छुपे दिन बह कर फ़ज़ा में फैल जाएँगे खुल कर साँस लेने का टेक्स इस क़दर बढ़ चुका है कि लोग बड़े ग़ुब्बारों को फाड़ कर अपने चेहरों पर चढ़ा लेंगे और ख़्वाब ता'बीर के सीने में ऐसा ख़ंजर घोंपेगा कि ता'बीर के ख़ून के छींटे सूरज के मुँह पर जा लगेंगे