बापू ने हर इंसान को इंसाँ समझा बहबूदी-ए-हर-फ़र्द को ईमाँ समझा इंजील को क़ुरआन को और गीता को सीने से लगाया उन्हें यकसाँ समझा ता'मीर-ए-वतन से थी मोहब्बत उस को सच्चाई का उपदेश दिया बापू ने तख़रीब-परस्ती से थी नफ़रत उस को प्रचार अहिंसा का किया बापू ने ये देश का था एकता-वादी लीडर क़ुर्बानी-ओ-ईसार के जज़्बे के तुफ़ैल मर्ग़ूब थी तंज़ीम-ए-जमाअत उस को छीना हुआ स्वराज लिया बापू ने नफ़रत से भरी आग बुझा दी उस ने तहरीक-ए-नवा खुली दबा दी उस ने वहशत-ज़दा माहौल-ए-सियह में ऐ चर्ख़ इक शम्अ' उख़ुव्वत की जल्लादी उस ने