सत्य अहिंसा के पैग़मबर दुखियों के दिलदार वर्धमान महावीर स्वामी नेकी के अवतार तू ने जग के दुख हरने को पल पल कष्ट सहे घोर तपस्या और फ़ाक़ों से तन मन साफ़ किए वर्धमान महावीर स्वामी नेकी के अवतार क्या तेरे फ़ाक़ों और तप से पशू मन शांत हुआ क्यों कि तेरी ही धरती पर आज हैं अत्याचार धरती अम्बर ख़ून में डूबे चारों खूँट डकैत अब अनाज की जगह उगाए ज़िंदा लाशें खेत इन लाशों को इन खेतों को आकर फिर दो प्राण फिर से अम्न का गीत सुनाओ नेकी के भगवान सत्य अहिंसा के पैग़मबर दुखियों के दिलदार