दफ़्तर से चुराया हुआ निस्फ़ दिन दोस्तों से बचाई हुई एक शाम बच्चों से ठगे हुए वादे बीवी के हिस्से से कुछ नर्म गर्म लम्स कुछ सोते जागते बोसे और ख़्वाबों से टाँकी हुई ये रात! मैं तुम्हारे लिए ले के आया हूँ सरसब्ज़ मौसमों के उजले बीज क़दीम ज़मानों से रिसती हुई ख़ुनुक हवा आबी किनारों से सरशार मिट्टी की रोईदगी और रगों में खिलते हुए सफ़ेद गुलाबों का शहद! मैं तुम्हारे लिए ले के आया हूँ बे-तरतीब साँसों की माला दहकते हाथों की सरसराहट आँखों में दूर तक गूँजती हुई ख़ामोशी और विज्दान में एक भूली हुई मुस्कुराहट! तुम ने मेरे लिए रक्खी है बे-कैफ़ तन्हाई की आग़ोश ठंडे लम्स से आवेज़ां मुस्कुराहट पसीने में भीगे बिस्तर के तेवर खुरदुरे लहजे की कड़वाहट उर्यां ख़्वाहिशों की ख़राशें गुज़री रात की बासी महक और तुलू होते पछतावे की एक सुब्ह!