मैं उसे रोक न पाया वो मुझे छोड़ गया झड़ती साँसो का उसे मैं ने हवाला भी दिया सर्द होती हुई नब्ज़ें भी उसे पकड़ाईं उस ने ख़ाक होते हुए ख़्वाहिशें मेरी देखीं मेरे ख़्वाबों का नगर लुटते हुए भी देखा मेरी आँखों के बरसते हुए बादल देखे मेरे गालों पे चमकते हुए अश्कों के सितारे देखे ख़ुश्क होते हुए होंटों को तड़पता देखा जलती बुझती हुई आहों ने दुहाई भी दी मैं ने सौ तरह से चाहा कि उसे रोकूँ मगर मैं उसे रोक न पाया वो मुझे छोड़ गया