ख़ुदा और उस के इंसाफ़ से डरने वाले ख़ता-पोश कमज़ोर दिल वजूद और ना-वजूद का मुनाज़रा करने वाले शिकारियों से बेहतर हैं कि उन के पास ख़ौफ़-ज़दा होने के लिए कोई ख़ुदा मौजूद नहीं होता वो मज़हब की मुसावात तोहफ़ों से ज़र्ब दे कर मस्लहतों में तक़्सीम करते हैं और फ़र्ज़ किए गए ख़ुदा को भूक का कुल्लिया लगा कर सिक्के के बराबर ले आते हैं