मिरे साथ चलती है तन्हाई भी तीरगी भी मैं फैला हुआ हूँ यहाँ से वहाँ तक ख़ला से ख़ला तक ख़ला जो अंधेरा है तन्हाइयों का ख़ला जो बसेरा है गहराइयों का ख़ला मेरा साथी ख़ला मेरा परतव ख़ला मेरा साया ख़ला दूसरा रुख़ है मेरी जिहत का कि मैं वक़्त हूँ और वक़्त ला-इंतिहा है ख़लाओं की मानिंद नई सम्त हूँ मैं वजूद-ओ-अदम की मुझे लम्हों सदियों दिनों में न बाँटो मुझे फ़ासलों से न नापो मुझे अपनी रफ़्तार में क़ैद कर लो