मेरे सीने पे सर रख के रोती रही मेरी पलकों से पलकें भिगोती रही मैं भी रोता रहा मेरे सीने पे सर रख के सोती रही मैं भी सोता रहा मेरी आँखों में कुछ ढूँढती सी रही मैं भी देखा किया ख़ामुशी के हिजाबों में हलचल रही मैं खड़ा पुर-सुकूँ बुत तड़पता रहा वक़्त-ओ-हालात फिर दरमियाँ आ गए दूर होते गए फिर ख़ुदा-हाफ़िज़ी फिर जुदा हो गए फिर तसव्वुर की दुनिया मसाफ़त की अड़चन वही वक़्त-ओ-हालात की बंदिशें दो धड़कते दिलों आरज़ुओं को दुनिया ने मक़्तल में अपने किया है तह-ए-तेग़