धूम घर घर मची मेरे मख़दूम की अल्लाह मेरी ख़ुशी निको पूछो सखी बेल मंडवे चढ़ी गोदाँ सब के भरी काज की मैं बड़ी आज ढोलक उड़ी मेरे मख़दूम की तेरे प्यारे वचन हीरे मोतियाँ रतन महकता केवड़े का बन हल्की हल्की चुभन मीठी मीठी जलन मैं तो वारी गई मेरे मख़दूम की छोड़ो छोड़ो सनम तमन्ना मेरी क़सम निको अता करम किस को देते हो दम मैं न पालूँगी ग़म मैं हिंदोड़ी सही मेरे मख़दूम की बाताँ उस के सखी जैसे मिस्री डली घी में शकर घुली घुप अँधारी गली जैसे नेकी खड़ी मेरे मख़दूम की