कान में बाला और गले में एक अछूती ज़र्द बसंती माला नैनन में इक जोत अनोखी मैं हूँ सजनी अपने पिया की (२) वो तो मेरा इक इक आँसू प्यार से पोंछा करता है बंसी गीत सुनाता है हाथ पकड़ के मेरा वो तो बादल बादल फिरता है तुम तो मुझ से हर-दम हर पल मिलने से कतराते हो बात अधूरी सुनते हो ख़ुद में उलझे रहते हो मेरा पीतम ऐसा कब है जैसे तुम हो