दुनिया बनाने वाले सुन मेरा दिल मुनाफ़िक़त में नहीं लग रहा है सुन मैं झूट की फ़ज़ा से ऊब चुकी हूँ सुन मुझे हलाक कर दे मुझे तहस-नहस कर दे मुझे ज़लज़ले में दफ़्न कर दे सैलाबी रेले में बहा दे बम धमाके से उड़ा दे हवाई फ़ाइरिंग में मार दे हार्ट-अटैक में मेरी जान ले ले या और किसी मोहलिक बीमारी से मार डाल मुझे मुझे इस अज़ाब से निकाल दे बस तेरी दुनिया मैं धोके फ़रेब और इल्ज़ाम क्यूँ हैं मैं हक़ पर हूँ तो मैं मुजरिम क्यूँ हूँ मैं सच्ची हूँ तो बुरी क्यूँ हूँ सुन ले एक बार तू ही मेरी मेरी तो और कोई सुनता ही नहीं है सुनता है तो समझता ही नहीं है सुन मैं अब चुप होना चाहती हूँ या फिर ज़ोर ज़ोर से चीख़ना चाहती हूँ मगर मुझे तेरी दुनिया वाले ये दोनों काम नहीं करने देते हैं वो कहते हैं कि बोलो तो उन की मर्ज़ी का बोलो वो कहते हैं कि अपनी आवाज़ धीमी रख के बोलो सुन अगर तू मुआ'फ़ करने का हौसला रखता है तो सुन तेरी बनाई हुई दुनिया मुझे रास नहीं आई