मेरे कमरे की बिस्तर के सामने वाली दीवार जिस पर खिड़की है न कोई दरवाज़ा इस ख़ाली दीवार पर मुझे अपने अंदर का ख़ला मुजस्सम दिखाई देता है इस लिए मैं ने उस ख़ला को किसी पेंटिंग कैलन्डर या तस्वीर से भरने की कोशिश नहीं की इस दीवार के ऐन वस्त में छत से अंदाज़न डेढ़ फ़ुट के फ़ासले पर एक दूधिया बल्ब लगा है जिसे अक्सर रात भर बुझना नसीब नहीं होता और बल्ब के नीचे चंद इंच के फ़ासले पर घड़ी लटकाने के लिए एक कील ठोंकी गई है मगर अब उस कील पर घड़ी मौजूद नहीं बल्कि वक़्त ख़ुद लटका हुआ है