बहुत ख़ुश थी मैं आज न होती मैं काश किसी की ज़रूर नज़र लगी होगी किसी को तो मैं ख़ुश बुरी लगी होंगी किसी ने तो मेरे आँसू माँगे होंगे कुछ तो मुझ से वो चाहते होंगे कि नज़र से अंधी लड़की को ख़ुशियाँ नज़र न आएँ कि फिर से कोई तूफ़ान इस पर ग़मों का पहाड़ लाए और देखो तो ये नज़र भी क्या ख़ूब खेली मुझ से मेरी हर हँसी ले ली ज़िंदगी छीन मुझे राह पर ला दिया ऐ नज़र ये तू ने क्या किया मुझे ऐसा पती दे दिया जानते हैं मैं बहुत ख़ुश थी आज ये दिन पहले आया होता काश मैं सँवर सज रही थी दिल में शहनाई बज रही थी कोई तो राजकुमार था जो मुझे पाने को बे-क़रार था मुझ से प्यार बहुत वो करता था मुझे खोने से भी डरता था इस लिए तो हाँ रोई थी मैं पर विदाई पर भी ख़ुश थी दिल मैं उम्मीदें कुछ थी चेहरा उन का देखना मेरा सपना था वो चेहरा जो अब से मेरा अपना था वो चेहरा जिसे महसूस किया करूँगी न जाना वो चेहरा जिस से मैं रोज़ डरा करूँगी क्यूँकि वो चेहरा कोई तो राजकुमार था मुझे पाने को बे-क़रार था विदाई के बाद की रात आई थी मैं पहली बार प्यार से कुछ यूँ शर्माई थी आँखें न सही पर दिल मेरे पास था उस दिल में बसा अब कोई ख़ास था मैं कान लगा कर सुनती रही बिन आँखें भी राहें तकती रही इसी सोच में रैना बीतती गई मेरी ख़ुशियाँ हर सोच से जीतती गई आख़िर प्यार मैं ने पाया था ये प्यार मुझे जन्नत में लाया था बीती रात का फिर इंतिज़ार रुका एक दम से मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला इसी बीच में कुछ आहट हुई जिस से ख़ुशी नहीं मुझे घबराहट हुई कौन है मेरा बरसो पुराना सवाल था तुम्हारा पती इस जवाब का ख़याल था ऐसा लगा मानो ये अकेले न थे साथ में इन के कुछ मेहमाँ थे शायद छेड़ने आए होंगे मुझ तक इन को लाए होंगे पर नहीं ये आवाज़ें क़रीब थी बेहद क़रीब जैसे वो कमरे में मौजूद हों जैसे ख़तरे में मेरा वजूद हो मैं उठने वाली थी कुछ पूछने वाली थी के तभी एक हाथ रुका मेरे कंधों पर फिसलने लगा मेरे गालों पर मेरे बालों पर मुझे अच्छा न लगा ये प्यार सच्चा न लगा कुछ तो गड़बड़ चल रही थी मेरी रूह जल रही थी कुछ कहना चाहती थी कुछ जानना चाहती थी कुछ पूछना चाहती थी मैं सही थी वो अकेले न थे पर साथ में उन के मेहमाँ न थे वो हैवान थे ये हैवान थे मुझे परत दर परत वो खोलते गए मैं चिल्लाती रही वो मुझे नोचते गए बारी बारी से मेरी जिस्म शिकार हुआ मेरा दिल भरोसा सब तार तार हुआ उस की हँसी मुझे चुभ रही थी उँगलियाँ वो मुझे दिखी रही थी मैं देख नहीं सकती थी पर अन-देखी कैसे करती मैं ने ख़्वाब बुने थे कुछ लम्हे चुने थे उन के साथ बिताने को उन्हें अपना बनाने को क्यूँकि ये वो राजकुमार था जो मुझे पाने को बे-क़रार था मुझ से प्यार बहुत करता था मुझे खोने से भी डरता था इस लिए तो मेरी इज़्ज़त को तार-तार किया मुझे तोड़ दिया मुझे मार दिया जाने मन गिनती मत रोकना गिनती रहना जाने मन क्यूँ मज़ा तो आ रहा है न ऐसे एक दुल्हन की तारीफ़ हो रही थी ऐसे एक दुल्हन की क़िस्मत सो रही थी ऐसे एक रात शांत रो रही थी ऐसे मेरी सुहाग रात हो रही थी मैं थम से गिर गई लगा उन्हें मैं मर गई सब जाने लगे तो मेरे पती मेरे पास आने लगे मुझ से प्यार जो करते थे मुझे खोने से जो डरते थे मुझे प्यार से आ कर वो कोसने लगे बे-जान शरीर को फिर वो नोचने लगे शराब के नशे में वहीं पड़े डोलने लगे हाथ मरोड़ कर ख़राब रात को बोलने लगे फिर अचानक एक दर्द ने जैसे तमाचा मारा न जाने कहाँ से हिम्मत का सैलाब आया हिम्मत जो दिल टूटने की थी हिम्मत जो ख़्वाब रूठने की थी हिम्मत जो भाग फूटने की थी हिम्मत जिस की ज़रूरत न जाने कितनी थी मैं ने झट से धक्का दिया उन की हालत को पक्का किया मैं कमरे में घूमने लगी शायद कुछ ढूँढने लगी इधर उधर हाथ फेरने लगी पहली बार मैं आँख-मिचोली खेलने लगी कहीं तो कुछ मिल जाए जिस से मेरी जान बच पाए मैं भाग सको यहाँ से बच कर कैसे पर सबक़ उन को सिखाऊँ कैसे तभी कुछ हाथ में पीनी चीज़ लगी शो'लों को जैसे माचिस मिली मैं ने वही उठा कर दे मारा एक दो तीन जाने मन गिनती मत रोकना गिनते रहना जाने मन क्यूँ मज़ा तो आ रहा है न बिल्कुल मैं गिनती नहीं रोकूँ गी गिनती रहूँगी तेरे अंदर से ख़ून बन कर गिरती रहूँगी उन की चीख सुकून दे रही थी हर आह दोबारा गिनने का जुनून दे रही थी पर मुझे निकलना था सो बच कर वहाँ से भाग निकली जब आई हों यहाँ तो बस एक चीख निकली आँखों के बिन मैं ने दुनिया देख ली अपने ही हाथों से मैं ने जंग जीत ली अब जा कर कहीं नई दुनिया देखूँगी फिर कहीं के लोगों से कुछ नया देखूँगी तो उस के लिए निकलती हूँ ज़रा पैरों में दम भरती हूँ पर उस से पहले जब इतना सुना तो नाम भी सुनते जाओ मेरा काम भी तो सुनते जाओ मैं हाशिया अंधी हूँ खुदा की वो बंदी हूँ जो अंधों को लड़ना सिखाती हूँ जब कोई चीज़ डराती है उन पर कोई मुसीबत आती है मैं हाशिया अंधी हूँ