मेरा घर मिरे नाम है लेकिन मैं ने जिस से क़र्ज़ा ले कर'' इस के दर-ओ-दीवार उठाए उस के हाथों में गिरवी है मेरे घर में उस का हर क़ानून है राइज मेरी राय नहीं चलती है मैं डरता हूँ मैं बोला तो क़ाज़ी का पैग़ाम आएगा और मुझे बे-घर कर देगा सिर्फ़ मुझे इक अपने घर का ख़ौफ़ नहीं है शहर का शहर है गिरवी मेरा और वतन भी तो गिरवी है मैं शहरी आज़ाद हूँ लेकिन मेरी आज़ादी गिरवी है