मिरे साथ आती हैं ठंडी हवाएँ बदलती हैं आने से मेरी फ़ज़ाएँ मैं आती हूँ बरसात के बाद तन कर सुलाती हूँ लोगों को कमरे के अंदर मैं हमराह लाती हूँ गद्दे बिछौने पहनाती हूँ हर एक को गर्म कपड़े मज़ेदार मेवे खिलाती हूँ सब को बड़ी गर्म चाय पिलाती हूँ सब को कभी पेश करती हूँ गाजर का हलवा कभी ला के देती हूँ हलवा मलीदा मिरे दौर में रात होती है लम्बी भरी है बहुत जिस में हिकमत ख़ुदा की ये हिकमत ख़ुदा की सुझाओ तो जानूँ मिरा नाम बच्चो बताओ तो जानूँ