तुम जो मिट्टी मौसम और रंग पहचानते हो अपने तलवों को खुरच कर देखो तो अन-गिनत सदियों पुरानी मिट्टी का लम्स पा कर ख़ुश होगे तुम जो मिट्टी हो और ज़रा ग़ौर से देखो तो तुम्हारे जिस्म की बैरूनी सतहों पर बे-शुमार मौसमों के निशाँ तुम्हें साफ़ दिखाई देंगे तुम जो मौसम तो नहीं हो लेकिन मौसमों ही से जन्मे हो और मौसमों का रस पी कर ही परवान चढ़े हो आओ तुम्हें मौसम की संग्या दे दें और रंगों से तो तुम्हारा नाता वैसा ही है जैसा मिट्टी और मौसम का है तुम जो मिट्टी मौसम और रंग पहचानते हो ख़ुद मिट्टी ख़ुद मौसम और ख़ुद रंग हो