मियाँ-बीवी में थी कुछ बहस-ओ-तकरार थे ज़ेर-ए-बहस 'ग़ालिब' के कुछ अशआ'र कोई जब फ़ैसला हो ही न पाया तो फिर तंग आ के बीवी ने सुनाया मैं मर कर जब पहुँच जाऊँगी जन्नत तो ख़ुद 'ग़ालिब' से कर लूँगी वज़ाहत कहा शौहर ने क्या समझी हो बीबी वो शाइ'र थे शराबी और कबाबी जहन्नुम ही में होगा उन को रहना कहा बीवी ने फिर तुम पूछ लेना