सुब्ह उठते ही ज़िद करती है और मुझे धोंस देती रहती है अगर ऐसा नहीं किया तो मैं नफ़रत से दोस्ती कर लूँगी और ये दिल जो एक कोने में सुकड़ा पड़ा है फ़रियाद करता रह जाएगा मुझे इस पर तरस आता है तुम जल्दी से मेरा ज़ाइचा निकालो और देखो मुझे कब तक तुम्हारे साथ रहना है तुम कब तक मुझे घसीटोगी कब तक मैं तुम्हारी क़ैद झेलूँगी हर चीज़ की इंतिहा होती है मुझे अब इस ख़ोल में नहीं रहना मुझे जाने दो