मोहब्बत ख़ाक कर देगी By Nazm << मज़दूर औरतें शाम का रक़्स >> कहा था नाँ मोहब्बत ख़ाक कर देगी जला कर राख कर देगी कहीं भी तुम चले जाओ किसी के भी बनो तुम जिस किसी को चाहे अपनाओ हमारी याद से पीछा छुड़ाना इस क़दर आसाँ नहीं जानाँ कहा था नाँ मोहब्बत ख़ाक कर देगी जला कर राख कर देगी Share on: