तेज़ हवा से बातें करती दौड़ती और फ़र्राटे भरती मोटर आई ख़ाक उड़ाती पूँ पूँ करती शोर मचाती चाल में तेज़ी ऐसी बला की देख के मत कट जाए हवा की कैसी देर कहाँ की सुस्ती पल में आई और गई भी रात को आए दिन को आए चलने से न कभी घबराए अगली सीट पे बैठा शोफ़र साहब बैठे कूद के अंदर शोफ़र ने भोंपू को बजाया फिर दो इक पुर्ज़ों को हिलाया चाबी फेरी जल्दी जल्दी धक धक करती मोटर चल दी मैं बतलाऊँ मोटर क्या है चलता फिरता इक कमरा है उस के पाँव रबड़ के पहिए चलने में बस आँधी कहिए कल का घोड़ा इस में जुता है पुर्ज़ा पुर्ज़ा ख़ूब बना है पानी और पेट्रोल पिलाओ चाहे जहाँ इस को ले जाओ इस के सिवा कुछ और न खाए दाने घास के पास न जाए बहली यक्का बग्घी टुम टुम तेज़ी में हैं इस से सब कम क्या कहना तेरा कारी-गर ख़ूब बनाई तू ने मोटर