बैठ कर एक बार रिक्शे में फिर न बैठेगा यार रिक्शे में आज-कल हो रहा है ज़ोरों पर हुस्न का कारोबार रिक्शे में दे हसीनों को कार से तश्बीह कर हमारा शुमार रिक्शे में आ रहा है मुशाएरे के लिए शाएर-ए-नाम-दार रिक्शे में है जहाँ दो का बैठना मुश्किल ये बिठाते हैं चार रिक्शे में शाह-राहों पे रोज़ होते हैं हादसे बे-शुमार रिक्शे में