मुझे ऐसी ज़मीनों से कभी आवाज़ मत देना जहाँ पर ख़्वाब सारे टूट जाते हैं जहाँ के लोग हाथों की लकीरों से सियाही धो नहीं सकते जहाँ के आसमानों में कहीं सूरज नहीं होता कोई रस्ता नहीं मिलता घने तारीक जंगल से निकलने का मुझे ऐसी ज़मीनों से कभी आवाज़ मत देना हवा हो या कि पानी हो सदा हो या कि साया हो मुझे उस पार जाना है कि सूरज को बुलाना है