चलो यूँ सही मेरा दिल दिल नहीं था वफ़ा का लहू उस में शामिल नहीं था ये सच्ची मोहब्बत का हामिल नहीं था तुम्हारी परस्तिश के क़ाबिल नहीं था ये बेहतर है अब तुम मुझे भूल जाओ ग़ज़ब की थी उफ़ वो मुलाक़ात पहली जब इक कम ज़बाँ से थी की बात पहली वो हल्की सी बूँदें वो बरसात पहली ख़ुदा जाने कैसी थी वो रात पहली ये बेहतर है अब तुम मुझे भूल जाओ