ये आँसुओं की झील है यहाँ हर बरस बहुत दूर से परिंदे उड़ कर आते हैं और एक पूरा मौसम बसेरा करते हैं किसी भी शिकारी को यहाँ आने की इजाज़त नहीं है मौसम के इख़्तिताम पर वापसी का सफ़र शुरूअ' होता है मैं गिनती करता हूँ वो इतने ही होते हैं जितने आए थे मैं उस झील को कभी ख़ुश्क होने नहीं दूँगा और हर बरस परिंदों को ख़ुश-आमदीद कहूँगा और कभी उन से ये नहीं पूछूँगा वो दूसरा मौसम किस झील में गुज़ारते हैं